हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मदरस ए इल्मिया महदिया खंदाब की प्रिंसिपल सुश्री सुसन ग़ुदरज़ी ने कहा,मासूमियत और करामत की प्रतिमूर्ति हज़रत मासूमा (स.ल.) का मुबारक जन्मदिन, 'बेटियों का दिन' और दस दिनों की करामत के आरंभ पर हम अहलेबैत (अ.स.) के सभी चाहने वालों, विशेषकर प्यारी बेटियों को दिल से बधाई और शुभकामनाएँ पेश करते हैं। मैं अल्लाह से सभी के लिए सेहत, सफलता और उत्तम अंत की दुआ करती हूँ।
उन्होंने आगे कहा,हज़रत मासूमा (स.ल.) का जन्म 173 हिजरी क़मरी में मदीना में हुआ। उनके पूजनीय पिता हज़रत मूसा बिन जाफर (अ.स.) और पूजनीय माता हज़रत नज्मा थीं, जिन्हें उनकी पवित्रता और निर्मलता के कारण पवित्रा के नाम से जाना जाता था।
ग़ुदरज़ी ने स्पष्ट किया,जिलक़ादा माह की शुरुआत अहलेबैत (अ.स.) और विशेष रूप से इमाम रज़ा (अ.स.) के लिए खुशी का संदेश लेकर आई, क्योंकि हज़रत नज्मा (स.ल.) इमाम रज़ा (अ.) के जन्म के बाद लंबे समय तक संतानवती नहीं हुई थीं। इमाम सादिक़ (अ.) ने पहले ही इस बेटी के जन्म की शुभ सूचना दी थी।
मदीनेह महदिया खंदाब की प्रिंसिपल ने आगे कहा,करमा-ए-अहलेबैत (स.ल.) ने छोटी उम्र के बावजूद ज्ञान और आध्यात्मिकता में उच्चतम स्थान प्राप्त किया उनकी ज़ियारत नामा-ए-ग़ैर-मशहूरा में मासूमीन (अ.स.) की ओर से उन्हें इस तरह संबोधित किया गया है,
'السلام علیک ایتها الطاهرة الحمیدة البرّة الرشیدة التقیّة النقیة الرضیّة المرضیّة'
उन्होंने जोड़ा,हज़रत मासूमा (स.) की विशेष ज़ियारत नामा, जिसे इमाम रज़ा (अ.स.) से रिवायत किया गया है, से यह स्पष्ट होता है कि उन्हें शफाअत (सिफारिश) का महान स्थान प्राप्त है। इस ज़ियारत के एक अंश में इमाम रज़ा (अ.स.) ने सअद अशअरी को सिखाया,मैं अल्लाह के निकट तुम्हारे प्रेम और तुम्हारे दुश्मनों से बेज़ारी के द्वारा क़रीब होता हूँ ऐ फातिमा! जन्नत में मेरी सिफारिश करो, क्योंकि तुम्हें अल्लाह के यहाँ एक महान स्थान प्राप्त है।
ग़ुदरज़ी ने अंत में कहा,ज़ायर जब अहलेबैत (अ.) से प्रेम और उनके दुश्मनों से दूरी का इज़हार करता है, तो वह स्वयं को उन महान हस्तियों के साथ जुड़ा हुआ दिखाता है और ऐलान करता है कि इन कार्यों के माध्यम से वह ईश्वर के निकट पहुँचना चाहता है।
विशेष रूप से वह हज़रत मासूमा (स.ल.) से जन्नत में शिफाअत (सिफारिश) की प्रार्थना करता है और इसका कारण इस वाक्य से स्पष्ट करता है,
'فانّ لک عند اللّه شأناً من الشأن'
क्योंकि तुम्हें अल्लाह के यहाँ विशेष ऊँचा स्थान प्राप्त है।
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